कैसे बनता है एक स्मार्टफोन? कुछ लोगों को लगता होगा केवल एक ग्लास स्क्रीन, मेटल या प्लास्टिक बॉडी, एक कमेरा और प्रॉसेसर और हो गया स्मार्टफोन तैयार। लेकिन एक साल में लाखों स्मार्टफोंस कैसे बनते हैं। क्या हर 3 सेकंड में बन जाता है एक नया फोन? हर एक व्यक्ति के पास इसका जवाब नहीं होगा लेकिन ओप्पो इंडिया के पास है इसका जवाब।
तो चलते हैं ओप्पो के ग्रेटर नोएडा में स्थित 110 एकड़ के मैनुफेक्चुरिंग हब में जहां ओप्पो इन फोंस को बनाता, टेस्ट करता, पैकजिंग करता और डिवाइसेज़ को स्टोर करता है जो कि भारत के सबसे अधिक बिकने वाले इलेक्ट्रोनिक्स में से हैं। दुनिया इसकी गवाह है, कैसे ओप्पो ने खुद को भारत में कदम रखने के बाद से देश की सबसे तेज़ विकास करने वाली स्मार्टफोन कंपनी बनाया है।
ओप्पो के स्वदेशी उत्पादन व अनुसंधान में भारी निवेश के साथ मेक इन इंडिया की प्रतिज्ञा 2016 में बनी यह फैक्ट्री स्मार्टफोन उद्योग में एक महत्वपूर्ण अंतर बनाती है।
बड़े पैमाने पर ट्रिपल हवाई जहाज हैंगर जैसी संरचना दरअसल ओप्पो की ग्रेटर नोएडा फेसिलिटी है। राष्ट्रीय राजधानी से एक घंटे की दूरी पर स्थित, इस फेसिलिटी में लगभग 10,000 पेशेवर स्मार्टफोन उत्पादन के विभिन्न चरणों में काम कर रहे हैं जिसमें सर्फेस माउंटिंग टेस्टिंग और असेंबली से सप्लाई और स्टोरेज शामिल है।
फोन का सफर सुपरफैक्ट्री के SMT सेक्शन से शुरू होता है जहां ओप्पो ने वर्ल्ड-क्लास मैनुफेक्चुरिंग मशीनें लगाई हुई हैं। यहां एक ज़बरदस्त माउंटिंग मशीन लगाई गई है जो एक समय पर 37,000 इलेक्ट्रोनिक कॉम्पोनेंट पकड़ सकती है। यह मैसिव मैकेनिज़म और ओप्पो का युनीक 4-प्लेट होल्डिंग सेटअप सर्किट बोर्ड (मदरबोर्ड) को चार फोंस के लिए मिलाकर कुछ ही सेकंड्स में काट देता है। SMT फ्लोर पर एक स्टाफ इस बड़े पैमाने पर चल रहे ऑपरेशन के बारे में जानता है। बल्कि एक गलत कॉम्पोनेंट को भी वापस सेट कर दिया जाता है।
इसके बाद हमने असेम्ब्ली अरेना का दौरा किया जो ओप्पो मैनुफेक्चुरिंग ईकोसिस्टम का दिल है और इसमें 52 रॉ हैं जिस हर एक में 37 असेम्ब्ली स्टेशन और 20 टेस्ट स्टेशन हैं। इस पूरे सेक्शन में ही 7000 पेशेवरों के काम के लिए जगह है। डिस्प्ले, स्पीकर, कैमरा मॉड्यूल, बैटरी और वाइब्रेशन मोटर ऐसे पार्ट्स हैं जो आते अलग-अलग हैं लेकिन जाते एक साथ हैं।
बेहतरीन मशीनों के साथ मिलकर ट्रेंड ऑपरेटर काम करते हैं और फोन को असेंबल कर के इसे मैनुअली या सोफिस्टिकटेड हार्डवेयर की मदद से टेस्ट करते हैं। इसमें कई युनीक कोंटरेप्शन शामिल हैं जो हर पैरामीटर पर स्मार्टफोन को टेस्ट करते हैं। हार्ड प्रैशर टेस्ट में, स्मार्टफोन पर 100 बार 35kg पुश अप्लाई करने के बाद स्मार्टफोन के फंक्शन टेस्ट किए जाते हैं। वेरिएबल टेम्परेचर टेस्ट में स्मार्टफोंस को 50-से-50 डिग्री सेल्सियस के एक्सट्रीम टेम्परेचर में रखा जाता है और उनकी फंकशनिंग क्षमता को मापा जाता है। माइक्रो-ड्रॉप टेस्ट में, डिवाइस को 10cm की ऊंचाई से 28000 बार गिराया जाता है।
ये सभी प्रोसीजर करीब 6 मिलियन डिवाइसेज़ में से हर एक डिवाइस के लिए फॉलो किए जाते हैं जिन्हें ओप्पो सिंगुलर पीक सीज़न में बना सकता है। यह सुनिश्चित करता है कि ओप्पो की गुणवत्ता के उच्चतम मानकों और उनके सीमलेस यूजर एक्सपिरियन्स के लिए निरंतरता का पालन किया जाए और कोई भी उप-पारिश्रमिक हैंडसेट असेंबली फ़्लोर को न छोड़े।
इन सभी टेस्टिंग के बाद डिवाइसेज़ को एक्सपर्ट द्वारा टेस्ट किया जाता है जिससे किसी भी विसंगतियों या समस्या का पता चल सके, जिन्हें मशीन पकड़ नहीं पाती है। ये सब प्रोसेस पूरा होने के बाद फोंस पैकेजिंग के लिए तैयार हैं।
इसके बाद इन स्मार्टफोंस को फैक्ट्री के बड़े स्टोरेज सेक्शन में रखा जाता है जहां 1.2 मिलियन डिवाइस रखने की क्षमता है। ये डिवाइसेज़ बाद में ऑनलाइन और ऑफलाइन फुलफिलमेंट एरिया में भेजे जाते हैं और इस तरह यह ओप्पो के फैंस के हाथों तक पहुंचते हैं।
ओप्पो के हैदराबाद R&D यूनिट में, करीब 400 रिसर्चर्स नैक्सट सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर इनोवेट करते हैं जिससे ओप्पो स्मार्टफोन की दुनिया में नए स्टैंडर्ड्स सेट करता है।
इस यूनिट में इंडस्ट्री-डिफ़ाइन करने वाले परिवर्तनों में से कुछ को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। उदाहरण के लिए, ओप्पो का ट्रेडमार्क कैमरा तकनीक, इस फेसिलिटी में बड़े पैमाने पर काम करता है। OPPO इंडिया टीम ने कुछ ऐसे नवाचारों में योगदान दिया है जैसे कि दुनिया का पहला मोटराइज्ड कैमरा जिसने दुनिया के पहले सही मायने में पूर्ण-स्क्रीन अनुभव का मार्ग प्रशस्त किया। वे OPPO के हाइब्रिड लॉसलेस ज़ूम, AI इंटीग्रेटेड पोर्ट्रेट मोड और AI नाइट मोड फ़ोटोग्राफ़ी का नेतृत्व करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ओप्पो तकनीक की सीमा को आगे बढ़ाने पर रोक नहीं है क्योंकि वे अपनी SuperVOOC 2.0 चार्जिंग तकनीक को पूरा करना जारी रखते हैं जो आपके डिवाइस को केवल 30 मिनट में 0 से 100 तक चार्ज कर देती है। OPPO अपने भारतीय डिवाइसेज़ में 5G हार्डवेयर के व्यापक इंटिग्रेशन पर जोर दे रहा है।
इसके परिणामस्वरूप हैदराबाद में ओप्पो की R&D टीम ने 200 पेटेंट रजिस्टर किए हैं। कंपनी के IIT हैदराबाद के साथ कई सालों की साझेदारी, नए विचार और ओप्पो की रिसर्च और डेव्लपमेंट पर अरबों खर्च करने की प्रतिज्ञा भविष्य में कुछ अच्छा आने का संकेत है।
मैनुफेक्चुरिंग ओप्पो के लिए बताई गई केवल आधी कहानी है जिसने एक AI चैटबोट सेटअप किया है जो फोन से संबन्धित कुएरिज़ अटेण्ड करता है और साथ ही 500 से अधिक डेडिकेटेड सर्विस सेंटर खोले गए हैं। यहां यूजर्स की समस्याओं को 60 मिनट के अंदर सुलझाने के लिए लोग मौजूद हैं जो कंपनी को देश में आफ्टर-सेल्स सपोर्ट में भी टॉप पर लाती है।
ओप्पो की सुपरफैक्ट्री में सुपर न तो आदमी से लिया गया है और न ही अकेले मशीन से। यह डेडिकेटेड हार्डवेयर इंडस्ट्री के साथ काम करने वाले व्यक्तियों की एक समर्पित और दृढ़ टीम, कड़ी मेहनत, परिश्रम और टीम वर्क के गहरे मूल्यों का परिणाम है जो ओप्पो के ‘मानवता के लिए प्रौद्योगिकी और दुनिया के लिए दया' विजन को पूरा करता है।
ओप्पो के सुपर फैक्ट्री में काम करने वाले सभी लोगों के दिल में उनके काम की जगह है, जो न केवल स्मार्टफ़ोन के लिए एक प्यार दिखाता है, बल्कि उनके चारों ओर निर्मित रचनाकारों और उपभोक्ताओं का परिवार के लिए भी प्यार दिखाता है।
विश्व में दूसरे नंबर पर आने वाले भारतीय बाजार के लिए काम करते हुए, ओप्पो अपने मेक इन इंडिया प्रयासों के साथ एक चमकदार उदाहरण स्थापित कर रहा है और देश के साथ अपने विश्वास को और गहरा कर रहा है। ओप्पो की सुपरफैक्टिविटी की एक खास बात ध्यान देने वाली है कि कैसे ओप्पो भारत को दुनिया में एक नवाचार हब के रूप में मजबूत कर रहा है।
[ब्रांड स्टोरी]