अमेरिकी एकेडमी ऑफ पेड्रियाटिक ने एक चेतावनी भी जारी की है, जिसमें ये कहा गया है कि बच्चों को स्मार्टफोन से जितना हो सके दूर ही रखें.
आजकल लगभग हर आदमी के पास स्मार्टफोन है, और हमारे इस फ़ोन में इतना कुछ होता है कि हम या तो हर वक़्त फ़ोन में ही लगे रहते हैं, या फिर बार बार चेक करते रहते हैं. थोड़ी देर तक कोई टू टां की आवाज न आये तो चेक करना पड़ता है न, कि चल तो रा है की नहीं? छोटे-छोटे 4-6 महीने के बच्चे भी इसकी स्क्रीन में रोशनी और रंग देखकर आकर्षित होते हैं, और फिर इसे छूना चाहते हैं. पकड़ना चाहते है, इसे देखना चाहते हैं की आखिर ये है क्या ? दरअसल फिर हम उन्हें फ़ोन दे देते हैं, और फिर धीरे धीरे बच्चों को स्मार्टफोन की आदत हो जाती है. जैसे जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं. उनकी ये आदत हमारे लिए ही समस्या बन जाती है.
अमेरिकी एकेडमी ऑफ पेड्रियाटिक ने एक चेतावनी भी जारी की है, जिसमें ये कहा गया है कि बच्चों को स्मार्टफोन से जितना हो सके दूर ही रखें. डॉक्टर्स भी कहते हैं कि छोटे बच्चों का स्क्रीन वाचिंग टाइम कम से कम रखें. यानि फ़ोन,टैब, लैपटॉप, कंप्यूटर, टीवी से उन्हें दूर ही रखें. अभी हाल ही में हुयी रिसर्च से ये बात सामने आयी है, कि स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक हो सकता है. अगर आपका बच्चा चीज़ों की और आकर्षित होकर उनकी और जाता है, उन्हें छूता है, उठता है, पटकता है, इधर उधर घूमता है, इधर उधर देखता है, सुनता है, चीज़ों को मुँह में डाल कर उनका स्वाद देखता है, उनको छूता है,उनके बारे में जानने की कोशिश करता है तो उसका विकास हो रहा है, लेकिन अगर वो सिर्फ फ़ोन को हाथ में लेकर बैठा रहे तो उसका कितना विकास होगा आप खुद समझ सकते हैं.
बच्चों के डिजीटल मीडिया के ज्यादा इस्तेमाल से उनकी नींद की क्वालिटी पर असर पड़ता है. नींद कम हो जाती है, और नींद पूरी भी नहीं होती, इससे बच्चों के मानसिक विकास पर बहुत बुरा असर पड़ता है. माता पिता के अपने बच्चे के साथ रिलेशन ख़राब होंगे, छोटी उम्र में आपका बच्चा आपके साथ वक़्त गुज़ारे तो ज़ादा अच्छा है. ये आपके बच्चे के क्रिएटिव माइंड को सिमित कर देता है. अभी बच्चे का मानसिक विकास हो. वो अपने आसपास की दुनिया को देखने समझने की बजाये अगर फ़ोन में ही लगा रहेगा तो उसकी सोच वही तक रह जाएगी. ये आपके बच्चे की सीखने की क्षमता को रोक देता है.
पहले हम आपको बता दें कि बच्चों को इसकी आदत क्यों और कैसे पड़ती है?
पेरेंट्स ने कुछ काम करता होता है, बच्चों को कुछ देर शांत रखने के लिए लोग अपने बच्चों के हाथ में फ़ोन दे देते हैं.
रोते हुए बच्चे को चुप करने के लिए उसके हाथ में फ़ोन दे देते हैं.
उन्हें खाना खिलाना है तो हाथ में फ़ोन देके उसे बहलाने की कोशिश करना या फिर किसी भी वजह से बच्चे के हाथ में फ़ोन देना देने से इस आदत की शुरूआत होती है.
क्या करें की बच्चे को इसकी आदत न पड़े?
बच्चों के सामने फ़ोन का इस्तेमाल कम से कम करें.
बच्चों को बिजी रखने के लिए उनके हाथ में फ़ोन न दें, कोई और खिलौना दें.
रोते बच्चे को चुप करने के लिए उसके हाथ में फ़ोन न दें.
वा चींटी आला ए ठीक था. चींटी मरगी चींटी मरगी, न्यू करते थे, अर बच्चे चुप भी करां थे
बच्चों को खेलने के लिए कोई और खिलौना दे दें.
ऐसे दूर करें ये समस्या
बच्चों को फ़ोन से रखें दूर
बच्चों के सामने फ़ोन का इस्तेमाल कम से कम करें
बच्चों को बिजी रखने के लिए उन्हें फ़ोन न दें,
रोते बच्चे को चुप करने के लिए उन्हें में फ़ोन न दें
बच्चों को बहलाने के लिए कोई और खिलौना दें
धीरे-धीरे बच्चों की स्क्रीन टाइमिंग कम करते चले जाएं