क्या एक फेसबुक फोन से पूरी दुनिया कनेक्ट हो जाएगी?

क्या एक फेसबुक फोन से पूरी दुनिया कनेक्ट हो जाएगी?
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क्या फेसबुक को अपना फोन लाने का प्रयास करना चाहिए? आज की प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए किस तरह का होना चाहिए यह फोन? आज इसी पर आगे बढ़ते हैं:

एक वक्त था जब टेक्नो-फ्रेंडली लोगों के लिए फेसबुक फोन एक पसंदीदा बहस का विषय था। पर पहली बार एचटीसी द्वारा फेसबुक होम फीचर लॉन्च किए जने के साथ ही स्मार्टफोन की दुनिया में सोशल नेटवर्किंग कदम रख चुका है। हालांकि डिवायस या सॉफ्टवेयर में से कोई भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। पर इतना जरूर है फेसबुक फिलहाल तो स्मार्टफोन लॉन्च करने के मूड में नजर नहीं आता। तो क्या फेसबुक का फोन नहीं आएगा? अगर आया तो यह कितना सफल होगा? यह कहना शायद सही नहीं होगा, खासकर विश्व के कम विकसित भागों को इंटरनेट की कनेक्टिविटी देने के इसके प्लान के विषय में जानकर तो फिलहाल ऐसा नहीं लगता। आइए जानते हैं कि क्यों फेसबुक को फोन लॉन्च करना चाहिए? बड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच यह कैसे सफल हो सकता है.

सबको कनेक्टिविटी देने का सपना

फेसबुक छोटी जगहों पर भी इंटरनेट की पहुंच बनाना चाहता है। इसके लिए मानव रहित विमान, उपग्रह और ऐसे  कई तकनीकों का परीक्षण किया जा चुका है। यहां तक कि अपने ‘कनेक्टिविटी लैब’ प्रोजेक्ट के लिए इस बड़े सोशल नेटवर्किंग चैनल ने नासा की ‘जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला’ और इसी के ‘एम्स रिसर्च सेंटर’ से एयरोस्पेस और संचार के विशेषज्ञों को हायर किया है। ‘इंटरनेट.ऑर्ग’ और इंटरनेट सेवा देनेवाली ऐसी अन्य कई कंपनियों से फेसबुक ने टाइ-अप भी किया है। संभव है कि फेसबुक नई तकनीक पर चलनेवाले एक ऐसे नए स्मार्टफोन के साथ आए जो इंटरनेट या कनेक्टिविटी इको-सिस्टम के हब के रूप में काम करे।

गूगल के एंड्रॉयड वन से जो अंदाजा लगाया जा सकता है

गूगले ने अपने ‘एंड्रॉयड वन’ के माध्यम से पहली बार स्मार्टफोन खरीद रहे या पहले से इसका इस्तेमाल कर रहे, दोनों ही प्रकार के उपभोक्ताओं को कम कीमत में हाई-क्वालिटी स्मार्तफोन का अनुभव देने की कोशिश की है। गूगल का यह प्रयास फेसबुक द्वारा ‘सबके लिए इंटरनेट’ उपलब्ध कराने के उद्येश्य से से काफी मिलता है। अपने भारत दौरे के दौरान मार्क जुकरबर्ग ने कहा, “हमारे लिए ‘कनेक्टिविटी’ एक ‘मानव अधिकार’ है और स्वाभाविक तौर पर यह किसी को मिलनी चाहिए। हमें इंटरनेट में भी 911 (अमेरिका की इमरजेंसी फोन लाइन) जैसी किसी सुविधा की जरूरत है।” एंड्रॉयड वन जैसे किसी प्रोजेक्ट के साथ फेसबुक अपना यह उद्येश्य पूरा कर सकता है।

भारत में लॉन्च की कोशिश होनी चाहिए

फेसबुक को अपना नया फोन पश्चिमी देशों की अपेक्षा प्रमुखता के साथ भारत में लॉन्च करने की कोशिश करनी चाहिए। अपने नए प्रोजेक्ट एंड्रॉयड वन की टेस्टिंग भारत में करने के साथ ही गूगल इसकी पहल कर चुका है। फायरफॉक्स ने फायरफॉक्स-ओएस पर चलने वाले और रु. 3000 से कम कीमत में आने वाले अपने फोन को यहां लॉन्च करने के लिए यहां के दो स्थानीय निर्माताओं इंटेक्स और स्पाइस से टाई-अप किया। हालांकि फायरफॉक्स केको डिवाइस को बहुत अच्छी रिव्यू नहीं मिली लेकिन कम कीमत की कनेक्टिविटी देने के लिए सराहा गया। पश्चिमी बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार अभी नया भी है और विकास भी कर रही है। इसलिए निर्माताओं के लिए भारतीय बाजार ज्यादा लाभकारी हो सकता है।

एंड्रॉयड वन फोन्स

इंडिया की तकनीक-पसंद सरकार

भारत की नई सरकार कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देती है। आने वाले तक मार्च तक सभी पंचायतों को ब्रॉडबैंड की कनेक्टिविटी देना इसका लक्ष्य है। ‘डिजिटल इंडिया’ कैंपेन के साथ सरकार मोबाइल ब्रोडबैंड कनेक्टिविटी को बढ़ावा देन का लक्ष्य भी बता चुकी है। स्मार्टफोन समेत फोन उपभोकताओं की बढ़ती संख्य को देखते हुए फेसबुक को इसका फायदा उठा सकता है।

किस तरह काम करेगा फेसबुक फोन?

क्या कनेक्टिविटी के लिए ओएस का यूज किया जाएगा?

अनुमान लगाया जा रहा है कि फेसबुक अपने फोन में ओएस का प्रयोग कर सकता है क्योंकि ज्यादा कनेक्टिविटी और शेयरिंग के लिए अच्छा माना जाता है। यह अपने फेसबुक होम सॉफ्टवेयर की तरह भी कुछ इस्तेमाल कर सकता है लेकिन इससे अलग हटकर कुछ सोचना इसके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा क्योंकि नई चीज लोगों को ज्यादा आकर्षित करती है। इस कनेक्टिविटी को ज्यादा से ज्यादा और जल्दी फैलाने के लिए लोकल टेलिकॉम ऑपरेटर्स से टाई-अप्स करना भी इसके लिए आवश्यक और फायदेमंद होगा।

बजट में एक अच्छा अनुभव देने की कोशिश

एक बार फिर गूगल के एंड्रॉयड वन से प्रेरित होते हुए फेसबुक को अपना नया फोन उपभोक्ताओं की सुविधा और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए। कम कीमत (रु. 5000 तक की प्राइस रेंज) में फेसबुक को इस होन में ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करनी चाहिए।

लोकल कंटेट

स्थानीय कनेक्टिविटी के अनुकूलन के अलावा, फेसबुक फोन को पर्याप्त स्थानीय कंटेंट की पेशकश करनी चाहिए। लोकल कंटेंट के अंतर्गत न केवल भारतीय भाषा के लिए सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए बल्कि म्यूजिक, शिक्षा, मनोरंजन, शॉपिंग पर आधारित कुछ एप्पस भी होने चाहिए.  गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और दूसरों ने भी लोकल कॉन्टेनेट और एप्पस  पर बहुत ध्यान केंद्रित किया है. फेसबुक को भी कुछ इसी अरह  की रणनीति पर काम करना चाहिए  ताकि  एक अच्छी शुरआत के लिए अनगिनत प्लेटफॉर्म्स पर मौजद एप्पस के इस्तेमाल का एक अच्छी राह तलाश सके.

फेसबुक अगर लोकल कनेक्टिविटी को प्राथमिकता देता है तो इसे फोन में लोकल कंटेट उपलब्ध कराने पर भी विचार करना चाहिए। भारतीय बाजार के लिए लोकल कंटेट का अर्थ कई रूपों में हो सकता है। जैसे; यह स्थानीय भारतीय भाषाओं को सपोर्ट करता हो, खास यहां की पढाई, शॉपिंग, मनोरंजन, संगीत और खेलों के लिए कुछ एप्स हों आदि। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई फोन कंपनियां अब लोकल कंटेट तथा एप्स को प्राथमिकता दे रही हैं। फेसबुक फोन को भी यय रणनीति अपनानी होगी और इससे आगे बढ़कर इन लोकल एप्स को अन्य जगहों पर भी इस्तेमाल किया जा सके ताकि यह किसी क्षेत्र विशेष के लिए सीमित होकर न रह जाए। 

क्या आप फेसबुक के फोन लॉन्च से सहमत हैं? अगर हां, तो यह फोन किस तरह का होना चाहिए? नीचे कमेंट सेक्शन मे हमसे अपनी राय साझा करें:

Kul Bhushan
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