पर्मानेंट अकाउंट नंबर (PAN) कार्ड एक यूनिक, 10 अक्षरों का अल्फानयूमेरिक पहचान का दस्तावेज़ होता है जिसे भारत के आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। यह वित्तीय लेनदेन, खासकर जिनमें कर शामिल होता है, के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ के तौर पर काम करता है। PAN कार्ड इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करने, बैंक खाता खोलने, सुरक्षा में निवेश करने, जायदाद खरीदने और अलग-अलग तरह के वित्तीय लेनदेन करने के लिए आवश्यक होता है।
1 जुलाई, 2017 से आयकर अधिनियम की धारा 139AA के तहत PAN को आधार से लिंक करना अनिवार्य कर दिया गया था। यह आपके वित्तीय रिकॉर्ड्स को सटीक तौर पर ट्रैक करने में मदद करता है और आपके PAN कार्ड की वैलीडिटी को सुनिश्चित करता है।
भारत में एक नागरिक का PAN कार्ड उसकी कई वित्तीय गतिविधियों के लिए आवश्यक होता है, जिनमें बैंक खाता खोलना, ऋण के लिए आवेदन करना और टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना आदि शामिल हैं। एक सिंगल और वैलिड PAN कार्ड रखने से यह सुनिश्चित होता है कि आपके सभी वित्तीय लेनदेन सही तरीके से ट्रैक किए जाएं।
अगर आपने अनजाने में एक से ज्यादा पैन कार्ड बनवा लिए हैं, तो आपको अतिरिक्त पैन कार्ड सरेंडर कर देने चाहियें। सरकारी नियमों का पालन करते हुए आपको आपके पास मौजूद किसी भी अतिरिक पैन कार्ड को रद्द करने के लिए आयकर विभाग से संपर्क करना होगा।
अगर आपके पास एक से ज्यादा पैन कार्ड्स पाए जाते हैं तो आयकर विभाग, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 272B के तहत आप पर 10000 रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। जुर्माने से बचने के लिए इस समस्या को सुलझाना आवश्यक है।
एक से ज्यादा पैन कार्ड्स रखना आयकर अधिनियम का उल्लंघन है। यह आपके आयकर रिकॉर्ड्स में भ्रम पैदा कर सकता है, जिससे प्राधिकारियों को आपका कर भुगतान ट्रैक करने और सटीक तौर पर फाइलिंग करने में मुश्किल आ सकती है।
भारत में प्रत्येक व्यक्ति को केवल एक PAN कार्ड रखने की अनुमति है। यह वित्तीय और कर उद्देश्यों के लिए एक विशेष पहचानकर्ता है, जो आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। एक व्यक्ति को एक से ज्यादा PAN कार्ड्स रखने की अनुमति नहीं है क्योंकि यह जटिलताओं का कारण बन सकते हैं।