व्हीलचेयर से हॉकिंग ने तय किया ब्रह्मांड तक का सफर, दुनिया को बताई ब्लैक थ्योरी की पहेली
76 साल की उम्र में हुआ निधन, सालों तक हर दिन दी मौत को मात, दुनिया के लिये बनें मिसाल।
मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। 76 साल के हॉकिंग ने कैम्ब्रिज में अपनी अंतिम सांस ली। बिट्रिश भौतिकशास्त्री और कॉस्मोलॉजिस्ट हॉकिंग ने आधुनिक ब्रह्मांड के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है। स्टीफन का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड शहर में हुआ था।
17 साल की उम्र में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में स्नातक की पढ़ाई शुरू की थी और भौतिक विज्ञान में अपनी डिग्री हासिल करने के बाद हॉकिंग ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज कोस्मोलॉजिस्ट डेनिस स्काइमा के निर्देशन में पीएचडी शुरू की।
हालांकि, हॉकिंग को महज 21 साल की उम्र में ही मोटोर न्यूरॉन जैसी खतरनाक बीमारी हो गई, इस बीमारी में मांसपेशियां को नियंत्रित करने वाली सारी नसें धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं, जिससे शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते हैं। डॉक्टरों का कहना था कि हॉकिंग लगभग 2 साल और जीवित रहेंगे, लेकिन हॉकिंग के हौसले ने डॉक्टरों के दावों को गलत साबित कर दिया।
हां, बीमारी बढ़ने पर उन्हें एक व्हीलचेयर का सहारा लेना पड़ा, जो कम्प्यूटर और आधुनिक तकनीक से लैस थी। इसकी सहायता से वह रोजमर्रा के कामों के आलावा अपने रिसर्च का काम भी आसानी से किया करते थे। वक्त बीतने के साथ ही हॉकिंग का लगभग पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया था, लेकिन उनके व्हीलचेयर में लगे विशेष प्रकार के तकनीक, हॉकिंग के चेहरे या आंखों के कंपन से ये पता लगा लेते थे कि वो क्या बोलना चाहते हैं।
इस बीमारी ने स्टीफन को शारीरिक रूप से अपंग कर दिया था लेकिन उनके हौसले को तोड़ नहीं पाई, कम वक्त में कुछ करने के जज्बे ने हॉकिंग को पूरी दुनिया में महान वैज्ञानिक के रूप में मशहूर कर दिया। साल 1974 में हॉकिंग ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्य बने। 5 साल बाद उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में गणित के प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त किया गया और संयोग की बात है कि इस पद पर कभी महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी नियुक्त हुए थे। आपको बता दें कि हॉकिंग की तुलना भी अल्बर्ट आइंस्टीन से भी की जाती है।
स्टीफन हॉकिंग ने रेडिएशन, बेकेस्टीन-हॉकिंग फॉर्मूला, हॉकिंग एनर्जी समेत कई महत्वपूर्ण सिद्धांत दुनिया को दिए। स्टीफन हॉकिंग ने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी को समझने में अहम योगदान दिया है। हॉकिंग के कार्य कई रिसर्च के आधार बने। स्टीफन हॉकिंग को सबसे उच्च नागरिक सम्मान से नवाजा गया था। ब्रह्मांड के बारे में लोगों को आसानी से समझाने के लिए उन्होंने एक किताब भी लिखी, जिसका नाम है 'ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम' जो काफी चर्चित हुई।
इस किताब में उन्होंने ब्रह्मांड के बारे में कई जानकारी दी, उन्होंने ब्लैक होल और बिग बैंग थ्योरी के बारे में नई चीजें बता कर दुनिया को अचंभित कर दिया। बिंग बैंग थ्योरी ब्रह्मांड की उत्पति और इसमें मौजूद कई रहस्यमयी चीजों के बारे में बताती है। 76 साल की उम्र में हॉकिंग ने दुनिया को अलविदा तो कह दिया लेकिन ब्रह्मांड की रिसर्च में पूरी जिंदगी देने वाले हॉकिंग की जिंदगी की कहानी पूरे ब्रह्मांड में हमेशा गुंजती रहेगी।