भूकंप आने से पहले ही बता देगा मोबाइल, आज ही ऑन कर लें ये छोटी सेटिंग, जान लीजिए कैसे करता है काम

Updated on 28-Mar-2025

Earthquake Alert on Mobile: हाल ही में म्‍यांमार और थाईलैंड के बैंकॉक में भूकंप के काफी तेज झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की तीव्रता 7.5 रही जिसकी वजह से काफी नुकसान भी पहुंचा है. इस शक्तिशाली भूकंप की वजह से कई बिल्डिंग तक गिर गई. इनको रोकना हमारे बस में नहीं है लेकिन टेक्नोलॉजी से हमें नुकसान कम करने में मदद मिल सकती है.

अब आप स्मार्टफोन पर भी भूकंप का अलर्ट पा सकते हैं. भूकंप से बचने के लिए स्मार्टफोन अलर्ट एक बढ़िया टूल है लेकिन यह परफेक्ट नहीं. फिर भी कुछ सेकंड पहले की चेतावनी जान बचा सकती है. अपने फोन में इसका अलर्ट ऑन किया या नहीं? आइए आपको इसके बारे में डिटेल्स से बताते हैं.

आज के स्मार्टफोन आपको भूकंप से पहले अलर्ट कर सकते हैं. इनमें लगे एक्सेलेरोमीटर जैसे मोशन सेंसर्स शुरुआती झटके पकड़ लेते हैं. जब एक इलाके के कई फोन एक साथ हिलते हैं तो डेटा सेंट्रल सर्वर तक जाता है. सर्वर पता लगाता है कि भूकंप कहां हो रहा है और कितना तगड़ा है. अगर सच में भूकंप है, तो प्रभावित इलाके में अलर्ट भेजता है.

यानी इससे कुछ सेकंड्स आपको कवर लेने का मौका दे सकते हैं. हालांकि, इस दौरान आप अपने आप सेफ कर लें यह जरूरी नहीं है. फिर भी इसके अलर्ट से आप भूकंप आने से पहले से ही सावधान हो सकते हैं. आइए आपको स्मार्टफोन में भूंकप अलर्ट ऑन करने का तरीका बताते हैं.

ऐसे ऑन करें सेटिंग

Android फोन के लिए: इसके लिए सबसे पहले अपने एंड्रॉयड फोन में सेटिंग ओपन करें. इसके बाद सेफ्टी एंड इमरजेंसी में जाएं. फिर आपको भूकंप अलर्ट ऑन करना होगा.

iPhone के लिए: सबसे पहले फोन की सेटिंग ओपन करें. इसके बाद नोटिफिकेशन के ऑप्शन पर जाएं. नीचे स्क्रॉल करें और इमरजेंसी अलर्ट्स फीचर को ऑन कर दें.

कैसे पता चलता है भूकंप के बारे में?

आपको बता दें कि अगस्त 2020 में Google ने एंड्रॉयड भूकंप अलर्ट सिस्टम शुरू किया और सितंबर 2023 में इसे भारत में लाया गया. यह सिस्टम आपके फोन को छोटा भूकंप डिटेक्टर बना देता है. फोन का एक्सेलेरोमीटर जमीन के हिलने को पकड़ता है और डेटा Google के सर्वर को भेजता है. जब फोन चार्जिंग पर हो और हिल न रहा हो तो यह शुरुआती झटके डिटेक्ट कर सकता है.

अगर एक इलाके के कई फोन एक साथ हिलते हैं तो सर्वर भूकंप की लोकेशन और तीव्रता का पता लगाता है. इंटरनेट सिग्नल भूकंप की लहरों से तेज चलते हैं. आरपको बता दें कि अलर्ट झटकों से पहले पहुंच जाता है.

अलर्ट कितना सही काम करेगा ये कई चीजों पर निर्भर करता है. इसमें भूकंप का केंद्र कितना पास है? उसकी गहराई कितनी है? और लोकल इंटरनेट इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसा है? जैसे फैक्टर्स शामिल हैं. कुछ इलाकों में डिटेक्शन नेटवर्क कमजोर हो सकता है, जिससे अलर्ट्स का भरोसा कम हो जाता है. फिर भी फोन में भूकंप अलर्ट ऑन रखना आपको इमरजेंसी में रिएक्ट करने के लिए कीमती सेकंड्स दे सकता है.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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