क्या यूवी लाइट कोरोनवायरस के खिलाफ है प्रभावी डिसइंफेक्टंट?
2020 को नोवल कोरोनोवायरस (कोविड-19) का साल कहा जा सकता है। इसने न केवल चीन के वुहान, जहां से यह शुरू हुआ था, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया
नतीजा यह हुआ कि आज पूरी दुनिया मास्क और दस्तानों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ‘न्यू नार्मल’ के साथ जीने की कोशिश कर रही है
अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट इन तरीकों में से एक है। अस्पतालों और स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में लंबे समय से अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट का डिसइंफेक्टंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है
2020 को नोवल कोरोनोवायरस (कोविड-19) का साल कहा जा सकता है। इसने न केवल चीन के वुहान, जहां से यह शुरू हुआ था, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। नतीजा यह हुआ कि आज पूरी दुनिया मास्क और दस्तानों के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ‘न्यू नार्मल’ के साथ जीने की कोशिश कर रही है। सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब है एक दूसरे से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखना। कोरोनोवायरस महामारी के कारण लोग अपने घर के आस-पास साफ-सफाई को लेकर अधिक जागरूक हो गए हैं और अपने घर में आने वाली हर चीज़ को डिसइंफेक्ट कर रहे हैं। इस महामारी का मुकाबला करने के लिए दुनिया भर में सरकारें और कंपनियां स्वच्छता से जुडे कई तरीकों को अपना रही हैं। अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट इन तरीकों में से एक है। अस्पतालों और स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में लंबे समय से अल्ट्रावायलेट (यूवी) लाइट का डिसइंफेक्टंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। आज हम इसी बारे में हैवेल्स इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री पराग भटनागर से बात करने वाले हैं और जानने वाले हैं कि आखिर क्या वाकई यूवी लाइट कोरोनवायरस के खिलाफ है प्रभावी डिसइंफेक्टंट है?
क्या है अल्ट्रावॉयलेट लाइट?
यूवी रेडिएशन को यूवी-ए (320 से 400 नैनोमीटर), यूवी-बी (280 से 320 नैनोमीटर) और यूवी-सी किरणों (200 से 280 नैनोमीटर) में बांटा जा सकता है। विभिन्न तरह के बैक्टीरिया और वायरस के खिलाफ यूवी रेडिएशन एक प्रभावी डिसइंफेक्टंट है क्योंकि यह उनके डीएनए में गड़बड़ी पैदा कर देता है जिससे वे अपना काम नहीं कर पाते है। लेकिन सभी तरह की यूवी लाइट्स को डिसइंफेक्टंट के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। डिसइंफेक्शन से जुड़े काम को करने के लिए अधिकतम वेवलेंथ 260 नैनोमीटर से 275 नैनोमीटर की रेंज में होनी चाहिए। लंबी वेवलेंथ होने से कीटाणुओं को खत्म करने की क्षमता तेज़ी से कम हो जाती है।
रोगाणुओं के खिलाफ यूवी लाइट के प्रभाव की जांच करने के लिए पावर इंटेंसिटी, वेवलेंथ और एक्सपोज़र का समय जैसे कारकों का उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, सतह और पानी में अलग-अलग ऑप्टिमल अब्ज़ॉर्प्शन वेवलेंथ के कई रोगाणु हो सकते हैं। जर्मीसाइडल यूवी (जीयूवी) की किसी वेवलेंथ से स्टरलाइजेशन का ज़रूरी स्तर पाने के लिए इसके एक्पोज़र का समय और पावर को निर्धारित करना होगा।
किसी खास स्तर के डिसइंफेक्शन उत्पाद को बनाने के लिए अलग-अलग परिस्थितियों में यूवी एलईडी के प्रदर्शन को मापना ज़रूरी है और साथ ही यह भी जानना होगा कि ये परिस्थितियां एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं। हालांकि डिज़ाइन इंजीनियर सबसे पहले पावर और वेवलेंथ जैसी बातों पर ध्यान देते हैंलेकिन इन दोनों के अलावा भी कई कारकों पर ध्यान दिया जाता है। वेवलेंथ, देखने के कोण और रेडिएशन पैटर्न से दी गई पावर की उपयोगिता के बारे में जानकारी हासिल होती है। करंट से जुड़ी जानकारी से कंट्रोल और डिज़ाइन ऑफ सिस्टम से उसकी आवश्यकता की जानकारी मिलती है। थर्मल से संबंधित जानकारी जैसे कि मैक्सिमम जंक्शन टेम्परेचर और थर्मल प्रतिरोध कुशल और इस्तेमाल लायक विशेष थर्मल प्रबंधन के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जीयूवी, कार्यालयों, अस्पतालों, पार्किंग, होटल, कारखानों और गोदामों, ट्रेन स्टेशनों इत्यादि में इस्तेमाल के लिए बिल्कुल सही है ताकि हाथ से सफाई करने की प्रक्रिया को आसान और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। भारत में कई कंपनियां पहले से जांचे हुई यूवी प्रोडेक्ट लाइन लॉन्च करने जा रही हैं जिनमें सैनिटेशन एन्क्लोजर, वैंड, रिमोट-नियंत्रित रोबोट आदि शामिल होंगे। इन उत्पादों का घर और इंडस्ट्री, दोनों जगह इस्तेमाल किया जा सकता है।
क्या यूवी लाइट इंसानों के लिए सुरक्षित है?
यूवी-सी लाइट त्वचा और आंख की ऊपरी परतों में ही प्रवेश करती है, जबकि बहुत छोटी वेवलेंथ जीवित कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती हैं। इसलिए त्वचा के साथ इसका ओवर एक्पोज़र होने पर कुछ समय के लिए हल्का सनबर्न हो सकता है। हालांकि जीयूवी लैंप थीअरेटिकल डिलेड का खतरा पैदा कर सकते हैं। लेकिन अचानक होने वाले यूवी एक्पोज़र की तुलना सूरज से रोज़ाना मिलने वाली यूवी लाइट से की जाए तो मोतियाबिंद या त्वचा कैंसर होने के खतरे में बहुत बढ़ोतरी नहीं होती। इतनी एहतियात रखना ज़रूरी है कि किसी जगह को जीयूवी लैंप से डिसइंफेक्ट करने के 30-40 मिनट बाद ही उस इलाके में जाया जाए। आंखों को किसी तरह से नुकसान से बचाने के लिए ज़रूरी है कि डिसइंफेक्शन लैंप में सीधे नहीं देखा जाए। इस तकनीक का उपयोग करके विकसित किए जाने वाले उत्पादों को दैनिक उपयोग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इंटेलिजेंट बनाना होगा।
यूवी के इस्तेमाल में आएगी तेज़ी
हैवेल्स इंडिया लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्री पराग भटनागर कहते हैं कि, “हो सकता है कि इस महामारी के कुछ प्रभाव थोड़े समय के लिए ही हों लेकिन यह निश्चित है कि आने वाले समय में स्वच्छता पर जोर रहेगा। उपभोक्ता स्वच्छता को लेकर सचेत रहेंगे और इसके उनके कुछ निर्णयों पर प्रभाव पड़ेगा, जैसे कि खरीदारी कहां से की जाए या किस रेस्टोरेंट में खाना खाया जाए। 2018 में दुनिया भर में यूवी डिसइंफेक्शन उपकरणों बाजार का 1.1 बिलियन डॉलर का था। एलाइड मार्केट रिसर्च के अनुसार इसके 2026 तक 3.4 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। हम देख रहे हैं कि धीरे-धीरे न केवल अस्पतालों, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और सार्वजनिक स्थानों पर बल्कि आम घरों में भी जीयूवी जैसी तकनीकों को तेजी से अपनाया जा रहा है। जीयूवी जैसे डिसइंफेक्शन सोल्यूशन में निवेश करने से हम अपने स्वास्थ्य की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएंगे और ‘न्यू नार्मल’ को अधिक आसानी से अपना सकेंगे।”
अश्वनी कुमार
अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी में पिछले 7 सालों से काम कर रहे हैं! वर्तमान में अश्वनी कुमार डिजिट हिन्दी के साथ सहायक-संपादक के तौर पर काम कर रहे हैं। View Full Profile