IPL ने हिला दिया पूरा UPI सिस्टम? बैंकों के लिए माथा का दर्द का बना मैच, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
इंडियन प्रीमियर लीग यानी IPL सिर्फ क्रिकेट का महाकुंभ नहीं, बल्कि भारत का सबसे बड़ा T20 एक्शन है. जब IPL शुरू होता है, तो होटल्स, एयरलाइंस, रेस्टोरेंट्स से लेकर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स तक, सब इसकी चमक में डूब जाते हैं. लेकिन इस रंगारंग मौसम में हर कोई खुश नहीं है, खासकर भारतीय बैंक. IPL 2025 की बेटिंग की लहर ने बैंकों और UPI सिस्टम को हिलाकर रख दिया है.
Surveyबैंकों की टेंशन: बेटिंग का पैसा ट्रेल
जब क्रिकेट फैंस छक्कों और विकेट्स में खोए होते हैं, बैंकर्स की नजर कहीं और होती है—पैसों के ट्रेल पर. IPL भारत में बेटिंग का सबसे बड़ा ट्रिगर बन चुका है. जिसका मार्केट $100 बिलियन (लगभग ₹8.3 लाख करोड़) से ज्यादा का है.
FirstPost की रिपोर्ट के अनुसार, यह सिर्फ भारतीय फैंस तक सीमित नहीं है. पूरी क्रिकेट-प्रेमी दुनिया इंटरनेशनल ऑनलाइन बेटिंग साइट्स के जरिए इस खेल में शामिल होती है. कई प्लेटफॉर्म्स क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मनी ट्रेल को ट्रैक करना और मुश्किल हो जाता है.
हालांकि भारत में लीगल बेटिंग अभी आम नहीं है, लेकिन अवैध बेटिंग का सीन बहुत बड़ा है. हाल ही में CBI ने छत्तीसगढ़, असम और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में 14 बुकियों को गिरफ्तार किया, लेकिन यह सिर्फ हिमशैल का सिरा है.
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UPI ने बेटिंग को बनाया आसान
UPI (Unified Payments Interface), भारत का सुपर-फास्ट इंस्टेंट पेमेंट सिस्टम, बेटिंग को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना रहा है. बस एक टैप से पैसे ट्रांसफर हो जाते हैं, जो बेटिंग करने वालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. UPI हर साल $3 ट्रिलियन (लगभग ₹250 लाख करोड़) से ज़्यादा के ट्रांज़ैक्शन्स हैंडल करता है, लेकिन IPL सीजन में यह आंकड़ा और उछाल मारता है.
UPI सर्वर्स पर IPL का प्रेशर
IPL 2025 के दौरान UPI ट्रांजैक्शन्स में अचानक आए उछाल ने बैंकों को मुश्किल में डाल दिया है. पिछले 20 दिनों में कम से कम दो बड़े आउटेज हुए. एक बड़ा आउटेज गुजरात टाइटंस (GT) और राजस्थान रॉयल्स (RR) के मैच के दौरान हुआ, जिसमें GT ने 58 रनों से जीत हासिल की थी. इस दौरान UPI 95 मिनट तक डाउन रहा.
12 अप्रैल को हुए एक और आउटेज में UPI की सक्सेस रेट 50% तक गिर गई और कई घंटों तक 80% के आसपास रही. Google Pay, PhonePe और Paytm जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स भी प्रभावित हुए. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने इसे कुछ बैंकों द्वारा “चेक ट्रांज़ैक्शन” API के ज़्यादा इस्तेमाल से हुई सिस्टम कंजेशन की वजह बताया.
बैंकों के सामने चुनौतियां
ट्रांजैक्शन की बाढ़: IPL के दौरान, खासकर शाम के पीक मैच आवर्स में, ट्रांज़ैक्शन्स की संख्या 500 मिलियन से बढ़कर 600 मिलियन प्रतिदिन तक पहुंच गई. मार्च 2025 में UPI ने 18 बिलियन पेमेंट्स रिकॉर्ड किए, जो पिछले तीन महीनों के 16 बिलियन से काफी ज़्यादा है.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव: बैंकों को रियल-टाइम ट्रांजैक्शन्स की सुनामी से निपटने के लिए अपने IT इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना पड़ रहा है. पहले चेक क्लियर होने में दिन लगते थे, लेकिन अब स्मार्टफोन-बेस्ड ट्रांसफर तुरंत हो जाते हैं.
फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग: बेटिंग प्लेटफॉर्म्स, खासकर क्रिप्टोकरेंसी और म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल करने वाले, फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिम को बढ़ाते हैं. RBI ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम की मजबूती पर चिंता जताई है.
जीरो MDR का बोझ: UPI पर जीरो मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) की पॉलिसी की वजह से बैंक और फिनटेक कंपनियों को इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड के लिए फंडिंग में दिक्कत हो रही है.
NPCI ने भविष्य में ऐसी दिक्कतों से बचने के लिए सख्त रेट-लिमिटर्स लागू करने और API यूजेज गाइडलाइन्स को दोबारा लागू करने की योजना बनाई है. कुछ एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि 0.2%-0.3% का छोटा MDR लागू करने से UPI का बिजनेस मॉडल ज्यादा सस्टेनेबल हो सकता है.
बैंकों ने भी AI और बिग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल शुरू किया है. उदाहरण के लिए, बेंगलुरु की स्टार्टअप VuNet Systems हर दिन 1 बिलियन से ज्यादा ट्रांजैक्शन्स मॉनिटर करती है और 50 टेराबाइट डेटा प्रोसेस करती है ताकि रियल-टाइम में समस्याओं का पता चल सके.
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Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile