GPS-Data बंद होने के बाद भी Google तक कैसे पहुंच जाती है आपकी लोकेशन? तुरंत बदल दें ये सेटिंग

Updated on 01-Nov-2024

Google Maps के जरिए गूगल यूजर्स की लोकेशन को ट्रैक करता है. केवल Google Maps ही नहीं बल्कि कई ऐप्स एंड्रॉयड डिवाइस में यूजर्स की लोकेशन को ट्रैक करते रहते हैं. Google Maps लोकेशन बंद होने के बाद भी डिवाइस की पॉजिशन का पता लगा सकता है.

इसके लिए गूगल मैप्स दूसरे फैक्टर्स का सहारा लेता है. कई बार गूगल Wi-Fi पोजिशनिंग के जरिए भी डेटा को ट्रैक करता है. इसके लिए वह Wi-Fi नेटवर्क से लोकेशन डेटा का इस्तेमाल करता है. गूगल के पास Wi-Fi नेटवर्क का एक बड़ा डेटाबेस है. इससे बिना जीपीएस भी लोकेशन को पता किया जा सकता है.

Cell Tower से भी चलता है पता

सेल टावर से भी गूगल आपकी लोकेशन पता कर सकता है. इसके लिए यह तीन टावर के रेंज में सिग्नल पावर को देखता है. यह तरीका GPS से कम सटीक है लेकिन आपकी लोकेशन के बारे में काफी हद तक जानकारी दे सकता है.

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Bluetooth डिवाइस के इस्तेमाल से भी गूगल आपकी लोकेशन जानकारी हासिल कर सकता है. आप किसी मॉल या दुकान के आसपास से गुजरते हैं तो आपका डिवाइस इन सिग्नल को डिटेक्ट करता है. इससे आपकी लोकेशन की जानकारी मिल सकती है. इसके अलावा जब आप इंटरनेट से कनेक्ट होते हैं तो आपके डिवाइस को एक IP एड्रेस दिया जाता है. यह एड्रेस आमतौर पर सर्विस प्रोवाइडर लोकेशन के हिसाब से देते हैं. इससे भी आपकी लोकेशन का अनुमान लगाया जा सकता है.

इसके अलावा लोकेशन शेयरिंग, सेंसर डेटा जैसे एक्सेलेरोमीटर और जायरोस्कोप के डेटा का रिसर्च कर गूगल आपकी लोकेशन का अनुमान लगा सकता है. इसके लिए इसे दूसरे पॉजिशनिंग तरीकों से जोड़ कर देखा जाता है. ऐप को लोकेशन की परमिशन देने से भी वह डेटा जमा करने लगते हैं.

ऐसे करें प्राइवेसी कंट्रोल

आप अपने डेटा को My Google Activity में जाकर मैनेज कर सकते हैं. इसके अलावा आप उसे ट्रैक करने से भी गूगल को रोक सकते हैं. इसके लिए आपको Activity Controls में जाकर Location History पर कई कंट्रोल्स मिल जाएंगे.

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Sudhanshu Shubham

सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं.

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