आपके ऑफिस के लिए एक फोटो ​प्रिंटर कैसे चुनना चाहिए

आपके ऑफिस के लिए एक फोटो ​प्रिंटर कैसे चुनना चाहिए
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आपका ऑफिस ​प्रिंट यील्ड टेक्स्ट डॉक्यूमेंट के मुकाबले ग्राफिकल ​प्रिंट्स को अधिक लाभकारी दर्शाता है? यही समय है जब आप एक समर्पित फोटो ​प्रिंटर में निवेश करें लेकिन निम्नलिखित बातों को पढ़ने से पहले नहीं।

कौन कहता है कि फोटो ​प्रिंटर्स की जरूरत केवल घरेलू सेट अप में होती है? आपकी विगत छुट्टियों की यात्रा के चित्र को ​प्रिंट करने के अतिरिक्त इसके बहुत से उपयोग हैं। यह मान लेना पूर्णत: गलत नहीं होगा कि ऑफिस के परिवेश में ग्राफिक ​प्रिंटर्स का बहुत अधिक अनुपात नहीं होता है। एक प्रकाशन गृह में काम करते हुए, हम फोटो की ​प्रिंट क्वालिटी, पीसी से ​प्रिंटेड पेपर पर चित्रों के बदलाव आदि करके, मासिक तौर पर ग्राफिक्स की एक अच्छी खासी मात्रा को ​प्रिंट करते हैं। हम केवल एक ग्राफिक्स डिजाइन हाउस या एक छोटी विज्ञापन एजेंसी के बारे में सोच सकते हैं जिसे अपने ग्राहकों के मार्केटिंग मटेरियल के बारे में चित्रों की क्वालिटी का मूल्यांकन करने के लिए अच्छी क्वालिटी के फोटों ​प्रिंट्स की जरूरत होती है और यह उनके दैनिक कार्यों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। अत: जी हां, फोटो ​प्रिंटर्स का जरूर ही ऑफिस उपयोग भी है।

अपने घर ऑफिस में एक फोटो ​प्रिंटर की जरूरत की पहचान करने के बाद, अब हम कुछ महत्वपूर्ण पहलू पर नजर डालते हैं जिस पर आपको फोटो ​प्रिंटर के पाथ को नेविगेटिंग डाउन करने के दौरान विचार करने तथा ध्यान देने की जरूरत होती है।

किसी भी ​प्रिंटर की खरीद में एक बड़ा पैरामीटर ​प्रिंटर यील्ड होता है जिससे प्रॉडक्ट ​प्रिंट यील्ड का विचार किया जाता है, क्योंकि ​प्रिंटर के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा और स्वामित्व की कीमत के एक बड़े भाग की गणना उसके यील्ड से ही की जाती है- दावा किये जाने वाले कुल पेजों की संख्या जिसे आप कार्ट्रिजेज बदलने से पहले ​प्रिंट कर सकते हैं। और चूंकि रंगीन फोटो को ​प्रिंट करने में, टेक्स्ट डॉक्यूमेंट की ​प्रिंटिंग के मुकाबले आपके ​प्रिंटर के कार्ट्रिज से अधिक स्याही की खपत होती है, अत: एक फोटो ​प्रिंटर के मामले में, ​प्रिंटर यील्ड का मुद्दा बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है।

एक याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि ​प्रिंटर के टोनर, स्याही और कार्ट्रिज को एक आर्इएसओ मार्क द्वारा रेट किया जाता है, और यही सबसे मानक रेटिंग होती है जो भरोसेमंद और विभिन्न ​प्रिंटर कार्ट्रिजेज में तुलना करने योग्य होती है। साथ ही यह भी समझ लें कि किसी ​प्रिंटर कार्ट्रिज में दावा किये जाने वाले यील्ड का नंबर इस मामले में सबसे अच्छा दृश्य होता है, आपको समान्यत: रेटेड यील्ड संख्या नहीं मिलती है, लेकिन फिर भी जहां तक फोटो ​प्रिंटर का सवाल है आपके कार्ट्रिजेज का ऑप्टिमाइजेशन ही बहुत महत्वपूर्ण होगा।

अंगूठे के मानक नियम के रूप में, यह तय कर लें कि आप हमेशा ओरिजिनल ​प्रिंटर कार्ट्रिजेज, इंक बॉटल्स या टोनर्स की ही मांग करें और उन्हें खरीदें। जिस पर सही सही आर्इएसओ मार्क सर्टिफिकेशन स्पष्ट रूप से दिखता हो। अन्यथा, आप अपने ​प्रिंटर के सेंसिटिव इंटरनल हार्डवेयर के खराब होने की प्रक्रिया को बस तेज करने जा रहे हैं।

डिवाइस कनेक्टिविटी और सपोर्ट

कुछ फीचर्स जिनको रखना अच्छा होता है, लेकिन उनका प्राय: उपयोग नहीं होता है, वे फोटो ​प्रिंटर के मामले में अचानक जरूरी हो जाते हैं। हम एसडी कार्ड स्लॉट, यूएसबी द्वारा पिक्टब्रिज सपोर्ट आदि फीचर्स के बारे में बात कर रहे हैं। इन फीचर्स के कारण न केवल, उस स्थिति में भी जब कि आपके पीसी में जरूरी चित्र न हों या आपका पीसी ऑन न हो, अपेक्षाकृत अधिक तेजी से तथा बिना किसी झंझट के फोटो ​प्रिंट लेना संभव हो पाता है, बल्कि डिजिटल फोटो ​प्रिंट्स लेने के लिए पीसी की अनिवार्य जरूरत भी समाप्त हो जाती है। एक फोटो ​प्रिंटर में इन अतिरिक्त फीचर्स का होना सही खर्च है, अत: इनके बारे में ऐसा न सोचें कि ‘‘नॉवेल्टी वैल्यू खत्म होने के बाद ये बेकार हो जायेंगे’’ क्योंकि ये सब वास्तव में यूजर एक्सपीरिएंस और ​प्रिंटर से मिलने वाली उपयोग की सुविधा को बढ़ा सकते हैं।

 

पेपर का प्रकार

जहां तक आप अपने ​प्रिंटर को टेक्स्ट डॉक्यूमेंट ​प्रिंट करने के लिए सीमित करते हैं तब पेपर के प्रकार का वास्तव में बहुत महत्व नहीं होता है। हालांकि चीजें तब थोड़ी ट्रिकी होने लगती हैं जब आप फोटो ​प्रिंट्स लेते हैं।  पेपर के मुख्यत: तीन वर्गीकरण हैं- मैट, ग्लॉसी और सेमी ग्लॉसी। मैट पेपर अनिवार्य रूप से रेगुलर पेपर होता है जिसे आप ऑफिस प्रिंटर के पास रखा हुआ पाते हैं, इसका सर्वाधिक प्रयोग होता है। इसमें ​प्रिंटर में दर्शाने के लिए रंग का बहुत रेंज नहीं होता है और देखने में यह अति उदासीन होता है। दूसरी ओर, ग्लॉसी पेपर रंग और रेजोलूशन का सबसे अच्छा रेंज, बेहतर क्वालिटी के ​प्रिंट्स देते हैं जो चटक रंगीन बनाते हैं। हालांकि ग्लॉसी पेपर चमक, परावर्तन और अंगुलियों के धब्बे से ग्रसित होते हैं। जैसा कि आपको अनुमान हो गया होगा कि सेमी-ग्लॉसी पेपर्स, मैट और ग्लॉसी पेपर्स के बीच का रास्ता अपनाने की कोशिश करते हैं और दोनों की दुनिया से अच्छा देने का प्रयास करते हैं।

अधिकतर फोटो ​प्रिंटर्स अपने ‘‘रेकमेंडेड’’ ब्रांड का पेपर बेचते हैं जो हार्डवेयर के साथ बेस्ट कम्पाइटेबल होते हैं। उन्हें चुनना स्वाभाविक रूप से सबसे अच्छा होता है, लेकिन वह बहुत ही महंगा होता है। अ​धिकांश मामले में उसकी जगह उससे सस्ते थर्ड पार्टी पेपर्स उपलब्ध होते हैं, लेकिन एक नॉन सपोर्टेड पेपर टाइप के लिए सही ​प्रिंट सेटिंग को फिगर आउट करना थोड़ा कठिन होता है- लेकिन ऐसा नहीं जिसे नहीं किया जा सकता। ऐसे मामलों में, पेपर्स के बेस्ट कम्बिनेशन और प्रिंट क्वालिटी सेटिंग को सेट करने से पहले मनपसंद फोटो ​प्रिंट पाने के लिए, थोड़ा ट्रायल और एरर करने की जरूरत होती है।
 
​प्रिंट्स की क्वालिटी

एक महत्वपूर्ण बात जिसे हम अधिकतर लोग भूल जाते हैं वह यह है कि किसी भी ​प्रिंटर को खरीदते समय प्रति माह उसके ​प्रिंटिंग के रेकमेंडेड मैक्सिमम लिमिट पर ध्यान नहीं देते हैं जिसे हम उस ​प्रिंटर की ड्यूटी साइकल के रूप में जानते हैं। समस्या तब और भी बढ़ जाती है जब कोर्इ ​प्रिंटर इंक-गजलिंग क्षमता से परे हो जाता है।

खरीदने के लिए हमेशा उन्हीं ​प्रिंटर्स को देखें जिनकी रेटेड ड्यूटी साइकल, प्रति माह आपके द्वारा लिये जाने वाले अपेक्षित फोटो ​प्रिंट्स की संख्या से अधिक हो। यदि आपको अपने पसंदीदा निर्माता से रेकमेंडेड ड्यूटी साइकल वाला ​प्रिंटर नहीं मिलता है, तो आप आगे तब तक अपनी तलाश जारी रखें जब तक कि आपको वह न मिल जाय।

Jayesh Shinde

Jayesh Shinde

Executive Editor at Digit. Technology journalist since Jan 2008, with stints at Indiatimes.com and PCWorld.in. Enthusiastic dad, reluctant traveler, weekend gamer, LOTR nerd, pseudo bon vivant. View Full Profile

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