एक कॉल से बर्बाद हो जाएगी पूरी जिंदगी, मार्केट में चल रहा नया स्कैम, ऐसे रखें अपने आपको सेफ

एक Call की वजह से आपकी पूरी जिंदगी की जमा-पूंजी एक झटके में गायब हो सकती है. कैसे? आइए आपको नए Call Merging Scam के बारे में बताते हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, कुछ दिन पहले एक शख्स के पास एक अनजान नंबर से कॉल आई. लाइन पर दूसरी तरफ से एक परिचित और जरूरी लगने वाली आवाज ने उसे चौंका दिया. उसने कुछ समझ पाता, इससे पहले कॉलर ने उसे जल्दी से कॉल मर्ज करने को कहा, उसने दावा किया यह वेरिफिकेशन के लिए जरूरी है.
भरोसा करते हुए, लेकिन कन्फ्यूज्ड, उसने ऐसा कर दिया. फिर एक OTP मांगा गया और बस उसका Gmail अकाउंट हैक हो गया. इसके बाद जो हुआ, वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था. हैकर ने उसकी हर चीज पर हाथ साफ कर दिया—ईमेल, सेव किए पासवर्ड्स, फोटोज, यहाँ तक कि लोकेशन हिस्ट्री भी.
एक झटके में उसकी पूरी डिजिटल जिंदगी नंगे पांव सड़क पर आ गई. यह कोई इकलौता मामला नहीं था. दिवाली से पहले गुरुग्राम में ऐसे ही स्कैम्स की बाढ़ आ गई और निशाने पर थे डॉक्टर्स. एक शिकार से शुरू हुआ ये खेल जंगल की आग की तरह फैला. तरीका वही था—कॉल मर्जिंग की ट्रिक से WhatsApp अकाउंट्स हैक करना. जैसे ही एक डॉक्टर इस जाल में फंसा, स्कैमर्स ने उसके अकाउंट से कॉन्टैक्ट लिस्ट में मौजूद बाकियों को टारगेट करना शुरू कर दिया.
साइबरक्राइम एक्सपर्ट अमित दुबे के पास दिवाली से पहले 40 से ज्यादा डॉक्टर्स ने मदद मांगी, सबकी एक ही कहानी थी—उनके WhatsApp अकाउंट्स हैक हो गए, जिससे उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल डेटा खतरे में पड़ गया. इन हमलों का स्केल आज के साइबर अपराधियों की खौफनाक चालाकी को बयान करता है. सबक? एक फोन कॉल आपकी डिजिटल दुनिया को तहस-नहस कर सकती है.
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कॉल मर्जिंग स्कैम कैसे काम करता है
साइबर अपराधी हर बार नए-नए तरीके निकालते हैं और कॉल मर्जिंग स्कैम उनकी ताजा चाल है. इसमें फ्रॉड करने वाले फोन कॉल्स को मैनिपुलेट करते हैं ताकि वो वॉइस OTPs को बीच में पकड़ सकें. इससे वो WhatsApp और Gmail जैसे अकाउंट्स को हाईजैक कर लेते हैं और कभी-कभी तो पूरा डिवाइस ही उनके कंट्रोल में आ जाता है. नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने भी UPI यूजर्स को अनजान कॉलर्स से कॉल मर्ज करने की मांग पर सावधान रहने की चेतावनी दी है.
इस स्कैम का तरीका कुछ ऐसा है. सबसे पहले स्कैमर आपके भरोसे को जीतने की कोशिश करते हैं. वो खुद को किसी जान-पहचान वाले के नाम से पेश करते हैं या कोई भरोसेमंद बहाना बनाते हैं—जैसे कोई खास मौका या इवेंट का न्योता. इससे आप सहज हो जाते हैं. फिर वो कहते हैं कि एक ट्रस्टेड शख्स को कॉल में जोड़ना है और आपको कॉल मर्ज करने को कहते हैं. यह रिक्वेस्ट इतनी स्मूद लगती है कि आपको शक नहीं होता. जैसे ही कॉल मर्ज होती है, एक OTP जेनरेट होता है और वो इसे लाइव सुन लेते हैं—क्योंकि वो पहले से कॉल पर मौजूद होते हैं.
OTP मिलते ही वो आपके अकाउंट में घुस जाते हैं. WhatsApp हैकिंग के मामले में वो तुरंत टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन ऑन कर देते हैं, जिससे आप कम से कम सात दिनों तक अपने अकाउंट से बाहर रहते हैं. इस दौरान वो आपकी पहचान का गलत इस्तेमाल करके और लोगों को फंसाते हैं.
अमित दुबे ने चेतावनी दी कि बड़े ओहदे वाले लोग, प्रोफेशनल्स और ताकतवर पोजीशन्स पर बैठे शख्स खास निशाने पर हैं. “हाल के शिकार ज्यादातर प्रभावशाली लोग हैं, और यही इस स्कैम को और खतरनाक बनाता है,” उन्होंने कहा.
खुद को कैसे बचाएं
इस स्कैम से बचने का पहला नियम है—कॉल मर्ज करने से साफ मना कर दें. कॉलर ID कितना भी परिचित क्यों न लगे, स्कैमर्स नंबर स्पूफ कर सकते हैं. अगर कोई कॉल मर्ज करने की जिद करे, तो कहें कि आप दोनों कॉन्टैक्ट्स को खुद अलग-अलग कॉल करेंगे. फर्जी कॉल्स से सावधान रहें—स्कैमर्स नंबर नकली बना सकते हैं और AI से आवाज तक कॉपी कर सकते हैं. कुछ गड़बड़ लगे तो कॉल काट दें और दूसरी तरह से वेरिफाई करें.
अपने वॉइसमेल को सिक्योर करें, क्योंकि स्कैमर्स OTP को वॉइसमेल पर रीडायरेक्ट करके बाद में ले सकते हैं. इसके लिए एक मजबूत वॉइसमेल PIN सेट करें. OTP को हमेशा प्राइवेट रखें—सोशल मीडिया और बैंकिंग के लिए अलग नंबर यूज करें, ताकि एक अकाउंट के हैक होने से बाकी सुरक्षित रहें. UPI, इंटरनेशनल ट्रांसफर्स और निकासी पर ट्रांजैक्शन लिमिट सेट करें, ताकि नुकसान कम हो.
अगर स्कैम हो जाए तो क्या करें?
अगर आप इस जाल में फंस गए, तो फौरन एक्शन लें. साइबर फ्रॉड हेल्पलाइन 1930 पर कुछ घंटों के अंदर रिपोर्ट करें—जितनी जल्दी, उतना बेहतर. अपने बैंक को तुरंत बताएं—RBI के नियमों के मुताबिक, तीन दिनों के भीतर शिकायत करने से रिफंड की उम्मीद बढ़ती है. संदिग्ध ट्रांजैक्शन्स को फ्रीज करें. कानूनी रास्ता भी अपनाएं—IT एक्ट की धारा 66 के तहत स्कैमर्स को तीन साल तक की जेल हो सकती है, और पैसे या मानसिक नुकसान के लिए अतिरिक्त चार्ज भी लग सकते हैं.
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Sudhanshu Shubham
सुधांशु शुभम मीडिया में लगभग आधे दशक से सक्रिय हैं. टाइम्स नेटवर्क में आने से पहले वह न्यूज 18 और आजतक जैसी संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं. टेक में रूचि होने की वजह से आप टेक्नोलॉजी पर इनसे लंबी बात कर सकते हैं. View Full Profile