निरंतर बढ़ रहे स्मार्टफोन यूसेज से क्या हो रहे हैं लाभ और क्या नुकसान, जानिए इस सर्वे से

निरंतर बढ़ रहे स्मार्टफोन यूसेज से क्या हो रहे हैं लाभ और क्या नुकसान, जानिए इस सर्वे से

इनोवेटिव वैश्विक स्मार्टफोन ब्रांड वीवो ने आज अपने अध्ययन के दूसरे संस्करण के नतीजों की घोषणा की। ’स्मार्टफोन्स और मानवीय संबंधों पर उनका असर-2020’ शीर्षक वाले इस अध्ययन ने दर्शाया है कि सोशल डिस्टेंसिंग के इस वर्ष में ग्राहकों पर मोबाइल उपकरणों का क्या असर रहा है। आज हमारी जिंदगी में स्मार्टफोन ही हमारे लिए विश्व का केन्द्र बन चुका है तो ज़ाहिर है कि समाज पर, लोगों के बर्ताव पर और दैनिक जीवन में इंसानी जुड़ाव पर इसका व्यापक प्रभाव हो रहा है। यह अध्ययन स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल के विविध आयामों की समीक्षा करता है और उन पर प्रकाश डालता है; जिनमें शामिल हैंः इस्तेमाल की अवधि, उपयोग पैटर्न पर लाॅकडाउन का असर, निजी सेहत व सामाजिक रिश्तों पर प्रभाव। 

हमारे दैनिक जीवन में स्मार्टफोन एक अहम साधन बन गया है जो हमें अपने दोस्तों, परिवार व दुनिया से जुड़ने में मदद करता है। इसकी अहमियत और अधिक बढ़ गई जब इस साल कोविड-19 की महामारी के चलते लोगों को लाॅकडाउन में घरों में बंद रहना पड़ा ताकि वे सुरक्षित रहें। इसलिए एक स्मार्टफोन हमारी लाइफलाईन बन गया जिसने हमारी जीवन गुणवत्ता बढ़ाई, हमें सुरक्षित महसूस कराया और अकेलेपन में हमारा मन बहलाया। हालांकि, स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से लोगों को इसकी लत भी लग जाती है। 

इस अध्ययन से खुलासा हुआ है कि 66 प्रतिशत लोग यह मानते हैं कि स्मार्टफोन से उनके  जीवन की गुणवत्ता बेहतर हुई है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह भी है कि 70 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि यदि उनका स्मार्टफोन का इस्तेमाल यूं ही बढ़ता रहा तो इससे उनकी मानसिक/ शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, 74 प्रतिशत लोगों का कहना था कि कभी-कभी मोबाइन फोन स्विच आॅफ करने से परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताने में मदद मिलती है। हालांकि, केवल 18 प्रतिशत लोगों ने ही खुद से फोन स्विच आॅफ किया।

इस रिपोर्ट को जारी करने पर वीवो इंडिया के निदेशक-ब्रांड रणनीति निपुण मार्या ने कहा, ’’साल 2020 गैरमामूली था – यह साल ऐसा होगा ऐसी किसी ने कल्पना नहीं की थी। इस महामारी ने हमें सोशल डिस्टेंसिंग वाली ज़िंदगी में धकेल दिया, ऐसे में स्मार्टफोन ही एकमात्र ऐसा साधन था जो हर चीज़ का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बन कर उभरा – फिर चाहे वह घर से काम करना या पढ़ना हो या फिर दोस्तों व परिजनों से जुड़े रहना हो। यद्यपि स्मार्टफोन ने लोगों को काफी फ्लेक्सीबिलिटी दी है जिसकी उन्हें आवश्यकता थी किंतु इसके अत्यधिक इस्तेमाल ने लोगों को बुरी लत डाल दी है जिससे उनके आपसी संबंधों एवं व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

वीवो एक ऐसा ब्रांड है जो लोगों के जीवन में खुशियां लाना चाहता है, इसलिए वीवो इंडिया का लक्ष्य है लोगों को स्मार्टफोन के दायित्वपूर्ण उपयोग के फायदों के बारे में जागरुक करना और इसके लिए कंपनी ने ’स्मार्टफोन एवं मानवीय संबंधों पर उनका प्रभाव’ शीर्षक से अध्ययन का दूसरा संस्करण प्रस्तुत किया है।’’

फोन का इस्तेमाल और उस पर कोविड-19 का असरः इस महामारी का असर यह हुआ कि लोगों सामाजिक दूरी रखनी पड़ी किंतु वे डिजिटल कनेक्ट हो गए। नीचे दिए गए नतीजे बताते हैं कि किस प्रकार -ग्राहक जो भी करते हैं- स्मार्टफोन उस सब का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बन गए।

  • कोरोनाकाल में स्मार्टफोन पर इस्तेमाल होने वाला रोज़ाना का औसत समय 25 प्रतिशत बढ़ गया है।
  • लाॅकडाउन के बाद, अप्रैल 2020 से भारतीय स्मार्टफोन पर ज्यादा वक्त गुज़ार रहे हैं – ओटीटी (59 प्रतिशत), सोशल मीडिया (55 प्रतिशत) और गेमिंग (45 प्रतिशत)।
  • ग्राहक जो भी कर रहे हैं स्मार्टफोन उस सब का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बन गया है।
  • 79 प्रतिशत प्रयोक्ताओं ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन उन्हें अपने प्रियजनों से कनेक्टिड रहने में मदद करता है।
  • 66 प्रतिशत प्रयोक्ताओं ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन से जीवन की समग्र गुणवत्ता बढ़ती है।

लत – स्मार्टफोन एक जरूरत के तौर पर उभरा है और लोगों को वह फ्लेक्सिबिलिटी दी है जिसकी उन्हें बहुत आवश्यकता थी, किंतु इसके अत्यधिक इस्तेमाल से इसकी लत लग जाती हैः

  • 88 प्रतिशत प्रयोक्ताओं ने माना कि जब वे लोगों के साथ होते हुए मोबाइल में मसरूफ थे तो उन्होंने उन्हें टोका
  • 46 प्रतिशत लोगों ने एक घंटे की बातचीत में कम से कम 5 बार फोन उठाया
  • 70 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर कर रहा है।
  • 84 प्रतिशत लोग जागने के 15 मिनट के भीतर अपना फोन चैक करते हैं।

संबंध – स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से पड़ी लत का असर मानवीय बर्ताव एवं संबंधों पर हो रहा हैः

  • 89 प्रतिशत लोगों ने माना कि स्मार्टफोन का अत्यधिक इस्तेमाल प्रियजनों के साथ गुज़रने वाले अच्छे समय पर दुष्प्रभाव डाल रहा है।
  • 74 प्रतिशत का मानना है कि स्मार्टफोन से अलग एक ज़िंदगी होना अहम है।
  • 70 प्रतिशत ने माना कि स्मार्टफोन का बेपरवाह उपयोग उनके संबंधों पर नकारात्मक असर डाल रहा है।

समानुभूति – एक स्वस्थ मस्तिष्क और सेहतमंद जिंदगी के लिए आईए कुछ देर अपना फोन रुैूपजबीव्िि करें।

  • 73 प्रतिशत लोगों का कहना था कि अगर वे स्मार्टफोन पर कम वक्त बिताएंगे तो ज्यादा खुश रहेंगे।
  • 74 प्रतिशत महसूस करते हैं कि बीच-बीच में कुछ समय के लिए फोन स्विच आॅफ करने से उन्हें परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताने को मिलेगा।
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